जहाँ से सड़क खत्म होती है वहाँ से शुरू होता है यह संकरा रास्ता बना है जो कई वर्षों में पाँवों की ठोकरें खाने के बाद, इस पर घास नहीं उगती न ही होते हैं लैंपपोस्ट सिर्फ भरी होती है खुशियाँ लोगों के घर लौटने की !
हिंदी समय में नरेश अग्रवाल की रचनाएँ